दुनिया की आबादी काफी बढ़ रही है और इस प्रकार, भोजन की मांग भी बढ़ रही है। आधुनिक युग में पौष्टिक भोजन के लाभों के बारे में जागरूकता दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है जैसे की मछली । जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मछली सबसे अधिक पोषक तत्व वाले खाद्य पदार्थों में से एक है, लेकिन इसकी अनुचित हैंडलिंग इसकी गुणवत्ता को खराब करती है और इसलिए मछली संरक्षण आवश्यक है। मछली संरक्षण शेल्फ जीवन को बढ़ाने और इसे जितना संभव हो उतना ताजा रखने की विधि है। मछली को संरक्षित करने के प्राचीन तरीकों में सुखाना, नमकीन बनाना आदि शामिल हैं। इन सभी तकनीकों का उपयोग आज भी किया जाता है, लेकिन डिब्बाबंदी जैसी आधुनिक तकनीकों का आज कल अधिक महत्व है।
मछली संरक्षण छोटी और लंबी अवधि के लिए किया जा सकता है:
1) छोटी अवधि के संरक्षण के लिए चिलिंग तकनीक काफी सटीक है। चिलिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे ऊष्म निकासी के माध्यम से मछली के तापमान को 0 डिग्री तक लाया जाता है । चिलिंग के विभिन्न तरीकों में बर्फ के साथ मछली की चिलिंग, मछली के ऊपर ठंडी हवा के झोंके से चिलिंग आदि शामिल हैं।
2) जब लम्बी अवधि के संरक्षण के लिए आवश्यकता होती है, तो मछलियों को विभिन्न चरणों से निकाला जाता है जैसे सफाई, गट्टिंग, कन्ज़र्वेशन इत्यादि। लम्बी अवधि के लिए संरक्षण निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:
(a) फ्रीजिंग: फ्रीजिंग तकनीक मे ताजा मछली को बर्फ में बंद करके संरक्षित करते है जो मछली को बैक्टीरिया के क्षय से बचाता है।
(b) साल्टिंग (Salting): नमक प्रेज़रवेटिव एजेंट है जिसका उपयोग मत्स्य उत्पादों के शेल्फ जीवन को लंबा करने के लिए किया जाता है। साल्टिंग तकनीक मे मुख्य मुख्यतह मछली के मांस से कुछ पानी निकाला जाता है और नमक द्वारा उसे भर दिया जाता है।
(c) कैनिंग: कैनिंग तकनीक मे मछली को प्रोसेस करके एक एयरटाइट कंटेनर में सील किया जाता है। कैनिंग विधि से मछली की शेल्फ लाइफ को एक से पांच साल तक किया जा सकता है ताकि मछली को लम्बी अवधि के लिए संरक्षित किया जा सके।
(d) सन ड्राईिंग और डिहाइड्रेशन: ड्राईिंग मछली को सुखाने की प्रक्रिया है जिसमें प्राकृतिक हवा के संपर्क में आने से मछली की नमी को हटा दिया जाता है। वहीं डिहाइड्रेशन में उपकरण का उपयोग किया जाता है जो कृत्रिम गर्मी प्रदान करता है और नमी को हटाता है। बहुत छोटी और पतली मछलियों को सीधे धूप में सुखाया जा सकता है परंतु बड़ी मछलियों के लिया डिहाइड्रेशन विधि का इस्तेमाल होता है ।